सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर होंगे जज लोया से जुड़े सारे मामले, 2 फरवरी को अगली सुनवाई

Supreme court will transfer all cases related to judge Loa, next hearing on February 2 Samastipur Now
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CBI Special Court के Judge Brijgopal Harkishan Loya की रहस्यमय मौत की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने से जुड़ी याचिका पर Supreme Court में Monday को सुनवाई हुई. Chief Justice Deepak Mishra की आगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जज लोया का केस बहुत अहम है. इस केस को पूरी निष्पक्षता के साथ देखा जाएगा. बेंच ने आदेश दिया कि किसी भी High Court में अब जज लोया से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं होगी. बेंच ने जज लोया केस से संबंधित दो याचिकाओं को Bombay High Court से Supreme Court में Transfer कर दिया है. इस Case की अगली सुनवाई के लिए 2 February की तारीख मुकर्रर की गई है.

बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई में Judge Loya की मौत से संबंधित सभी दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा. कोर्ट ने दोनों पक्षकारों से कहा है कि वे अपने दस्तावेज सीलबंद कर कोर्ट को सौंपे. सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की तरफ से Supreme Court को बताया गया कि Media reports के बाद सावधानीपूर्वक और विवेकपूर्ण तरीके से इस मामले की जांच की गई है. चारों जुडिशियल ऑफिसर्स ने भी जांच की निष्पक्षता को लेकर भरोसा जताया है.

Chief Justice Deepak Mishra और Justice AM Khanwilkar और Justice D.Y. Chandrachud की बेंच ने Statement record किया कि Judge Loya की मौत कार्डिएक अरेस्ट से हुई है. केस में याचिका दाखिल करने वाले बंधुराज लोने ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि फैसला उनके हक में आएगा. साथ ही जस्टिस लोया को इंसाफ मिलेगा. हम मांग करते हैं कि केस की सुनवाई स्वतंत्र एजेंसी के हाथों होगी.

इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ उस समय नाराज हो गई जब Bombay Lawyers Association की ओर से Senior Advocate Dushyant Dave ने BJP President Amit Shah का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि सब कुछ उन्हें (शाह) को बचाने के लिये करा गया है. इस एसोसिएशन ने ही बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है.

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के कडे प्रतिवाद पर विचार के दौरान ही पीठ ने इस पर कड़ी आपत्ति करते हुये कहा, ‘आज की स्थिति के अनुसार यह स्वाभाविक मृत्यु है. फिर आक्षेप मत लगाईये.’ सुनवाई के दौरान एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने संभावित भावी आदेश का निष्कर्ष निकालते हुये कहा कि शीर्ष अदालत इस मामले में मीडिया पर अंकुश लगा सकता है.

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इस पर प्रधान न्यायाधीश ने अपनी नाराजगी वयक्त् की और कहा, ‘मेरे प्रति यह न्याय संगत नहीं है. आप ऐसा नहीं कर सकतीं.’ इसके साथ ही उन्होंने इन्दिरा जयसिंह से कहा कि वह अपने शब्द वापस लें और इसके लिये माफी मांगे. इन्दिरा जयसिंह ने अपना बयान वापस लेने के साथ ही क्षमा याचना कर ली.

इससे पहले Supreme Court की Website पर मंगलवार देर शाम एक आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि Justice BH Loya की मौत से जुड़ी याचिकाओं को उचित बेंच के सामने रखा जाना चाहिए. इसके बाद यह स्पष्ट हो गया था कि जस्टिस अरुण मिश्रा आगे इस केस की सुनवाई नहीं करेंगे.

बता दें कि जज लोया की मौत साल 2014 में कार्डिएक अरेस्ट से हुई थी. उस दौरान वह राजनीतिक रूप से संवेदनशील सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे.

Supreme Court के चार जजों की 12 जनवरी को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जज लोया की मौत का मामला उठा था. इसके बाद खबर आई थी कि मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा इस मामले को इस तरह उठाए जाने से आहत हो गए थे. चारों जजों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में Chief Justice Deepak Mishra की कार्यशैली और केस के बंटवारे पर असंतोष जाहिर किया था.

यह मामला मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के सामने रखा गया, हालांकि जस्टिस मिश्रा की बेंच ने इसकी सुनवाई अगले सप्ताह के लिए टाल दी गई. अब इस केस की सुनवाई सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी.

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