मनीला में भारतीय समुदाय से बोले पीएम मोदी, अतीत नहीं वर्तमान के सामर्थ्यों से होता है देश का आकलन

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मनीला : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलीपींस में भारतीय समुदाय को संबोधित किया. असियान बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलीपींस में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर मैं आपसे मिले बिना चला जाता तो आज मुझे अच्छा नहीं लगता. वर्किंग डेज के दिन आप अलग – अलग स्थानों से आये, ये जो भारत के प्रति आपका प्यार है, दुलार है, उस वजह से हम सब एक छत के नीचे हैं. भारत के लिए यह भूभाग बहुत महत्वपूर्ण है. जब से प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का मौका मुझे मिला है. मैंने एक्ट इस्ट पॉलिसी पर बल दिया है. इन ( पूर्वी एशिया) देशों में सहज रूप से देश ने अपनापन महसूस किया है. कुछ – न -कुछ कारणों से ऐतिहासिक बॉन्डिंग है. शायद कम ही देश होंगे जहां भारतीयों से जुड़ाव न हो . बुद्ध के प्रति श्रद्धा न हो.

हमारे देश का समृद्ध विरासत है. हमारे पास उस विरासत संभालने की जिम्मेवारी है. एक काम जो हमारा दूतावास करती है. उससे अनेक गुणा काम देश से बाहर रह रहे भारतीय करते हैं. दुनिया भर में भारतीय गौरव के साथ सर उठा कर के आंख में आंख मिलाकर बात करते हैं. किसी भी देश के लिए यह गर्व की बात है.

पूरे विश्व में अगर पीस कींपींग फोर्स में सबसे ज्यादा योगदान किसी देश का है. वह भारत का है. आज दुनिया के अनेक अशांत क्षेत्रों में भारत के जवान तैनात है. शांति मात्र कोई शब्द नहीं है. हम वो लोग है. जो शांति को कर के दिखाया है. शांति हमारी रगों में हैं. हमने इसे जीकर दिखाया है. तभी तो हमारे पूर्वजों ने वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया है. लेकिन इन सारी बातों को दुनिया तब स्वीकार करती है जब भारत वर्तमान में सामर्थ्य हो तब दुनिया उसे स्वीकार करती है. अतीत कितना ही अच्छा क्यों न हो, विरासत कितना ही महान क्यों न हो. लोग वर्तमान से ही लोग प्रेरणा लेतें हैं. 21 वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी बने यह हमलोगों का कर्तव्य है.

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विश्व भर में भारतीय समुदाय फैले हुए. भारत की विशेषता रही है, हम जहां गये, जिसे मिले उसे अपना बना लिया. अपनी विशिष्टता बचाते हुए किसी को अपना बना लेना कोई आसान काम नहीं होता है. इसके लिए दृढ़ आत्मविश्वास की जरूरत पड़ती है. देश में कुछ खराब होता है, तो आप दुखित हो जाते हैं. कुछ अच्छा हुआ है, तो आप भी फूले नहीं समाते हैं. हम देश को विकास के उन उंचाई पर ले जायेंगे, जहां हम विश्व की बराबरी कर सकें.

तकलीफें जो भी होती है. वह बराबरी के स्टेज पर पहुंचने तक होती है. फिर तो लेवल प्लेयिंग फील्ड बन जाता है और भारतीयों के दिल – दिमाग में वह दम है कि हमें कोई आगे ले जाने से रोक नहीं सकता है. इसलिए पिछले तीन – साढे साल से भारत का हमेशा प्रयास रहा है, भारत के पास जो सामर्थ्य है, जो प्राकृतिक संसाधन है, सांस्कृतिक विरासत है उसे संजये. आप कोई भी युग निकाल लीजिए . सौ साल पहले, पांच सौ साल पहले भारत ने किसी भी का बुरा चाहा है.

प्रथम और दि्वतीय विश्वयुद्ध में डेढ़ लाख से ज्यादा हिन्दुस्तानी ने शांति के लिए शहादत मोल ली थी. कोई भी भारतीय सीना तानकर कह सकता है हमलोग दुनिया को देनेवाले लोग है, लेनेवाले नहीं है. आज विश्व में पीस कीपींग फोर्स है. यूनाइटेड नेशन से जुड़ा संगठन पीस कीपींग फोर्स है तो कोई भी भारतीय गर्व कर सकता है.

देश की अर्थव्यवस्था के मुख्य धारा में गरीब वापस आये हैं. कुछ लोगों को लगता है, ऐसा भी हो सकता है क्या. किसी को भी गंदा में रहने पसंद नहीं है. जब सिंगापुर और मनीला स्वच्छ है. हम भी साफ रहना चाहते हैं. गैस कनेक्शन लेना बहुत बड़ी बात थी . कांग्रेस ने कहा 2012 में कहा था कि नौ सिलेंडर के जगह 12 सिलेंडर देंगे. जो माताएं लकड़ी का चूल्हा जलाती है. उन पांच करोड़ परिवारों में गैस का चूल्हा देता हूं. एक गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाने बनाती है. वैज्ञानिक भी बताते हैं कि उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुंआ जाता है. उसके स्वास्थ्य की चिंता कौन करेगा.

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