एक फरवरी के इस आदेश ने दी थी अयोध्या विवाद की चिंगारी को हवा

A February order had given the spark of Ayodhya Babri Masjid dispute Samastipur Now
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लखनऊ । अयोध्या के विवादित ढांचे को लेकर हिंदू-मुस्लिम समुदाय अपने-अपने दावे तो अरसे से कर रहे थे लेकिन इस चिंगारी को हवा दी 31 साल पहले फैजाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के एक आदेश ने। 1 फरवरी 1986 को दिये गये इसी आदेश से इस ढांचे पर 37 वर्षों से लगे ताले को खोलने का रास्ता साफ हुआ। इस आदेश में न्यायाधीश ने यह अनुमति भी दे दी थी कि दर्शन व पूजा के लिए लोग रामजन्मभूमि जा सकते हैैं।

25 जनवरी 1986 को अयोध्या के वकील उमेश चंद्र पांडेय ने फैजाबाद के मुंसिफ (सदर) हरिशंकर द्विवेदी की अदालत में विवादास्पद ढांचे को रामजन्मभूमि मंदिर बताते हुए उसके दरवाजे पर लगे ताले को खोलने के लिए याचिका दाखिल की। यह कहते हुए कि रामजन्मभूमि पर पूजा-अर्चना करना उनका बुनियादी अधिकार है। मुंसिफ ने इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया क्योंकि इस संदर्भ में मुख्य वाद हाईकोर्ट में विचाराधीन था। लिहाजा उन्होंने एप्लीकेशन को निस्तारित करने में असमर्थता जतायी। उन्होंने कहा कि मुख्य वाद के रिकार्ड के बिना वह आदेश पारित नहीं कर सकते। उमेश चंद्र पांडेय ने इसके खिलाफ 31 जनवरी 1986 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश फैजाबाद की अदालत में अपील दायर की। उनकी दलील थी कि मंदिर में ताला लगाने का आदेश पूर्व में जिला प्रशासन ने दिया था, किसी अदालत ने नहीं।

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एक फरवरी 1986 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण मोहन पांडेय ने उनकी अपील स्वीकार की। इस मामले में जज ने फैजाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी इंदु कुमार पांडेय और एसएसपी कर्मवीर सिंह को कोर्ट में तलब किया था। दोनों ने अदालत को बताया कि ताला खोलने से कानून व्यवस्था के बिगडऩे की आशंका नहीं है। जज ने इस मामले में बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई मोहम्मद हाशिम व एक अन्य पक्षकार के तर्कों को भी सुना। राज्य सरकार ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में वकील उमेश चंद्र पांडेय की याचिका का विरोध किया। यह कहते हुए कि रामजन्मभूमि के गेट पर लगे ताले को खोलने से कानून व्यवस्था भंग होने की आशंका है। न्यायाधीश ने सरकार की यह दलील ठुकराते हुए कहा कि रामजन्मभूमि पर ताला लगाने का कोई भी आदेश किसी भी अदालत में पूर्व में नही दिया है।

1 फरवरी 1986 को मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के बाद जज ने कहा कि वह मुकदमे का फैसला उसी दिन शाम 4.15 बजे करेंगे। शाम 4.15 बजे उन्होंने ताला खोलने का आदेश दिया। न्यायाधीश ने इस बात की भी अनुमति दी कि जनता दर्शन व पूजा के लिए रामजन्मभूमि जाए। अपने आदेश में उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्य सरकार अपील दायर करने वाले तथा हिंदुओं पर रामजन्मभूमि में पूजा या दर्शन में कोई बाधा और प्रतिबंध न लगाए। न्यायाधीश के आदेश देने के बमुश्किल 40 मिनट बाद ही सिटी मजिस्ट्रेट फैजाबाद रामजन्मभूमि मंदिर पहुंचे और उन्होंने गेट पर लगे ताले खोल दिये। इसके बाद से ही इस प्रकरण पर सभी पक्षकार अधिक सक्रिय हुए।

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