आरुषि हत्याकांडः HC ने तलवार दंपति को किया बरी, 9 साल चले मामले में कब क्या हुआ?

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आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए तलवार दंपति को बरी कर दिया है। इस मर्डर मिस्ट्री में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरुषि के मां-बाप को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
राजेश तलवार और नुपुर तलवार हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। अदालत के फैसले के बाद तलवार दंपति जल्द रिहा होंगे। दंपति ने सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए दंपति को बरी करने का आदेश दे दिया।

तलवार दंपति की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सितंबर 2016 से सुनवाई चल रही थी। 11 जनवरी 2017 को इस इस मामले में सुनवाई पूरी हुई। हाईकोर्ट ने केस में 12 अक्तूबर 2017 को फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की थी। आज हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दंपति को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि जांच के दौरान सीबीआई तलवार दंपति के खिलाफ ऐसे सबूत पेश नहीं कर पाई जिसमें उन्हें सीधे दोषी माना जा सके। कोर्ट ने ये भी कहा ऐसे मामलों में तो सुप्रीम कोर्ट भी बिना पर्याप्त तथ्यों और सबूतों के किसी को इतनी कठोर सजा नहीं सुनाता।

जानिए हत्याकांड से लेकर आज हाईकोर्ट के फैसले तक की पूरी कहानी।

16 मई 2008 को आरुषि की खून से लथपथ डेड बॉडी मिली

16 मई 2008
आरुषि तलवार का खून से लथपथ शव नोएडा में उसके घर के बैडरूम में मिला। उसके गले पर गहरा जख्म था।

17 मई 2008
17 मई की सुबह घर के नौकर हेमराज का भी खून से लथपथ शव आरूषि के घर की छत पर पड़ा हुआ मिला।

18 मई 2008
18 मई को पुलिस ने अपनी प्राथमिक जांच में कहा कि दोनो की हत्या सर्जरी के लिए प्रयुक्त उपकरण के जरिए की गई है।

19 मई 2008
राजेश तलवार के पूर्व नेपाली नौकर विष्णु शर्मा को संदिग्धों में शामिल किया गया।

21 मई 2008
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में हत्या के एंगल से जांच शुरू की।

22 मई 2008
आरुषि हत्याकांड की ऑनर किलिंग के एंगल से जांच शुरू होने पर परिवार संदेह के घेरे में आ गया। मामले में पुलिस ने आरुषि के दोस्त से पूछताछ की जिससे आरुषि ने हत्या के दिन से 45 दिन पहले तक कुल 688 बार फोन पर बात की थी।

23 मई 2008
आरुषि के पिता राजेश तलवार को आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

20 जून 2008 को राजेश तलवार का हुआ लाई डिटेक्शन टेस्ट

1 जून 2008
सीबीआई को माले की जांच सौंपी गई जिसके बाद आरुषि-हत्याकांड की सीबीआई जांच शुरु हुई।

13 जून 2008
सीबीआई ने राजेश तलवार से पूछताछ के बाद नौकर कृष्णा को भी गिरफ्तार कर लिया।

20 जून 2008
दिल्ली के सीएफएसएल में राजेश तलवार को लाई डिटेक्शन टेस्ट किया गया।

25 जून 2008
आरुषि की मां नुपुर तलवार का दूसरा लाई डिटेक्शन टेस्ट किया गया। नुपुर का पहला टेस्ट किसी निर्णय तक नहीं पहुंचा।

26 जून 2008
गाजियाबाद की अदालत ने राजेश तलवार को जमानत देने से मना कर दिया।

3 जुलाई 2008
आरोपियों के नॉर्को टेस्ट को चैलेंज करने वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

12 जुलाई 2008
राजेश तलवार को गाजियाबाद की डासना जेल ने जमानत दे दी।

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21 फरवरी 2011 इलाहाबाद हाईकोर्ट गए तलवार दंपति

5 जनवरी 2010
सीबीआई ने आरोपियों का नार्को टेस्ट करने के लिए अदालत का रुख किया।

29 दिसंबर 2010
सीबीआई ने मामले में अपनी क्लोसर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को क्लीन चिट दे दी। जबकि रिपोर्ट में आरुषि के मां-बाप पर संदेह जताया गया।

25 जनवरी 2011
गाजियाबाद की अदालत के परिसर में राजेश तलवार पर हमला किया गया।

9 फरवरी 2011
कोर्ट ने सीबीआई की उस रिपोर्ट का संज्ञान भी लिया जिसमें उसने कहा कि दंपति ने दोनों का मर्डर किया और सबूत मिटाए।

21 फरवरी 2011
आरोपी दंपति ने ट्रायल कोर्ट के समन को खारिज करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया।

18 मार्च 2011
हाईकोर्ट ने समन को रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज करते हुए उनके खिलाफ जांच के आदेश दे दिए।

25 नवंबर 2013 को तलवार दंपति दोषी करार

19 मार्च 2011
दंपति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जिसने उनके खिलाफ चल रही जांच पर स्टे लगा दिया।

6 जनवरी 2012
एपेक्स कोर्ट ने तलवार की याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल जारी रखने की इजाजत दे दी।

11 जून 2012
स्पेशल जज एस लाल के सम्मुख मामले का ट्रायल शुरू हुआ।

10 अक्टूबर 2013
मामले में आखिरी जिरह शुरू हुई।

25 नवंबर 2013
गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई अदालत ने तलवार दंपति को दोषी पाया।

दंपति को सीबीआई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई

26 नवंबर 2013
सीबीआई कोर्ट ने आरुषि-हेमराज की हत्या के मामले में दंपति को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

21 जनवरी 2014
राजेश और नुपुर तलवार ने सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया।

19 मई 2014
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में तलवार दंपति को जमानत देने से मना कर दिया।

11 जनवरी 2017
आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मामले में सीबीआई के उन्हें दोषी ठहराए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया।

17 सितंबर 2017
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हेमराज-आरुषि हत्याकांड के मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।

12 अक्तूबर 2017
सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को मामले में बरी कर दिया।

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