जानें आखिर ऐसा क्या हुआ कि विदेशी बोला – माफ करना! अब हम कभी भारत नहीं आएंगे

Learn what happened to the foreigner - sorry! Now we will never come to India
0 78
Above Post Campaign

जानें आखिर ऐसा क्या हुआ कि विदेशी बोला – माफ करना! अब हम कभी भारत नहीं आएंगे

भारत के बारे में सुना था कि लोग अच्छे व मिलनसार है। लोगों का दुख-दर्द समझते हैं। यहां आकर जो हुआ उसके बाद हम कभी यहां नहीं आएंगे। यह दर्द है इलाज कराने आए एक इराकी नागरिक का।

नोएडा। भारत के बारे में सुना था कि यहां के लोग अच्छे व मिलनसार हैं और लोगों का दुख दर्द समझते हैं। यहां विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं हैं तथा सस्ता इलाज मिलता है। यही सोचकर अपना घर गिरवी रखकर व सोशल मीडिया साइट फेसबुक, ट्विटर से चंदा जुटाकर मैं यहां अपने भाई का लिवर ट्रांसप्लांट कराने आया था, लेकिन अब सब बर्बाद हो गया है। बदमाशों ने 30 हजार डॉलर छीन लिए। स्थानीय पुलिस प्रशासन मदद नहीं कर रहा और अस्पताल प्रबंधन ने बिना फीस लिवर ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया है। मेरा भाई जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है और हम सब असहाय हैं। हमें बिना इलाज के ही लौटना होगा। अब कभी भारत नहीं आएंगे।

पुलिस पूछताछ के बाद दैनिक जागरण संवाददाता ने जब इराक के किरकुक शहर के निवासी फारिस सबीब तलब से बात की तो कुछ इस तरह उनका दर्द छलका। बताया कि 13 जुलाई को अदनान सबीब तलब जेपी अस्पताल में जौहरी फार्म हेल्थ एजेंट के जरिये ट्रांसप्लांट से पहले विभिन्न प्रकार की जांच के लिए भारत पहुंचे। फारिस तीन अन्य परिजन के साथ 17 जुलाई को सुबह छह बजे भारत पहुंचे। दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद से जेपी फर्म का एजेंट अब्दुल वारिस उन्हें जेपी अस्पताल लेकर आया। यहां पहुंचने के बाद अस्पताल के डॉक्टर अभिदीप चौधरी ने करीब 15 दिन में ट्रांसप्लांट हो जाने की बात बताई थी, लेकिन अब सब समझ नहीं आ रहा क्या करें। बिजली का व्यवसाय करने वाले पिता की इतनी हैसियत नहीं है कि वह 15 दिनों में पैसा जुटा सकें। इसलिए अब खाली हाथ अपने देश वापस जाना होगा।

Middle Post Banner 1
Middle Post Banner 2

शक के घेरे में पीड़ित का ट्रांसलेटर

प्राथमिक जांच में पुलिस को पीड़ित के ट्रांसलेटर अब्दुल वारिस पर शक है। विश टाउन चौकी प्रभारी दिनेश सोलंकी ने बताया कि पीड़ित व ट्रांसलेटर को करीब पांच घंटे तक आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई है। चूंकि पीड़ित अरबी व कुर्दिश भाषा बोलता है। इसलिए पूछताछ में दिक्कत हुई है। ट्रांसलेटर के जरिये मामले को समझने की कोशिश की जा रही हैं। कई बार दोनों के बयान में विरोधाभास मिला है। मामले को अच्छी तरह से समझने के लिए बाहर से दूसरा ट्रांसलेटर बुलाया जाएगा। जांच में गुरुग्राम के आरटीजीएस अस्पताल के बाहर दो दिन पहले इसी फर्म के एक अन्य इराकी नागरिक और उसके ट्रांसलेटर से साढ़े 12 हजार रुपये की लूट हुई थी। इसलिए ट्रांसलेटर रखने वाली फर्म से पूछताछ की जाएगी।

अस्पताल में रहते हैं रोजाना 150 से अधिक विदेशी मरीज

जेपी अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक हर माह 30 से अधिक विदेशी नागरिकों के किडनी, लिवर ट्रांसप्लांट होते हैं। इनमें सबसे ज्यादा इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, सीरिया, बहरीन, कतर, सऊदी अरब, ओमान व अन्य खाड़ी देशों से लोग अंग प्रत्यारोपण व गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आते हैं। प्रतिदिन 150 से अधिक विदेशी मरीज व तीमारदार अस्पताल में मौजूद रहते हैं। तीमारदार के रहने के लिए गेस्ट हाउस बना है। जिसमें 100 से अधिक मरीज व तीमारदारों के ठहरने की व्यवस्था है। सुरक्षा की दृष्टि से अस्पताल परिसर के अंदर व मुख्य द्वार के बाहर कैमरे लगे हैं। सभी मरीजों के सात एक ट्रांसलेटर रहता है, जो इलाज के लिए मरीज की मदद करता है।

अस्पताल परिसर में बाहर से आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को विजिटर आइ कार्ड दिया जाता है, ताकि कोई संदेहजनक व्यक्ति अस्पताल परिसर में प्रवेश न कर सके। विदेशी मरीजों को उनके कमरों में लॉकर की सुविधा दी जाती है और हिदायत दी जाती है कि वे कैश के रूप में कोई बड़ी रकम साथ में लेकर बाहर न जाए। अस्पताल परिसर के दायरे में उनको हर संभव मदद और सुरक्षा दी जाती है।

Below Post Banner
After Tags Post Banner 2
After Tags Post Banner 1
After Related Post Banner 3
After Related Post Banner 2
After Related Post Banner 1
Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Close